दोस्तों ये हैं बिहार का कैमूर जिला जो बिहार के 38 जिलों में से बहुत ही प्रसिद्ध जिला है। इस जिले का भारत में पुराना और दिल चस्प इतिहास रहा हैं। ये जिला कई शासक के अधीन रहा है। कैमूर स्वतंत्र जिले के रूप में अस्तित्व में आने से पहले रोहतास जिले का एक अनुमंडल हुआ करता था। जिसका नाम था । भभुआ, लेकिन 17 मार्च 1991 को इसे रोहतास जिले से अलग करके एक स्वतंत्र जिला बनाया गया और इसका नाम बदल कर कैमूर जिला रख दिया गया। इस पूरे जिले का भौगोलिक क्षेत्र 3332 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। वहीं इस जिले की कुल जनसंख्या 2011 के अधिकारिक जनगणना के अनुसार लगभग 16,26,384 आबादी है। और यहां साक्षरता दर लगभग 69.34% है । वहीं यदि हम बात करें कैमूर जिले के सेक्स राशियो के तो इस जिले में 1000 हजार पुरुष की तुलना में लगभग 920 महिलाएं पाई जाती हैं। तथा बिहार का ये जिला हिन्दू बहुसंख्यक जिला के रूप मे भी जाना जाता है। हिन्दू की आबादी लगभग 89% हैं। और मुसलमानो कि आबादी लगभग 9.55% हैं। अन्य धर्मों की बात करें तो ईसाई 0.09% आबादी है। और बुद्ध 0.47% हैं।

यदि आपको बिहार के सड़कों पर ज्यादातर BR45XX नम्बर वाली गाड़िया दौड़ती हुई मिल जाए। तो समझ जाए कि आप बिहार के कैमूर वाले जिले में प्रवेश कर चुके है। कैमूर, सासाराम और बक्सर दो लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों का हिस्सा है। वहीं इस जिले के अंतर्गत कुल 4 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र रामगढ़, मोहनिया, भभुआ और चांदपुर आते हैं। वैसे कैमूर को धान का कटोरा भी कहा जाता है। इसका कारण यहां के मोकरी गांव में पैदा होने वाले सुगंध चावलों के गुणवत्ता हैं। जो प्रदेश ही नहीं पूरे देश में मशहूर हैं। धान के अलावा यहां गेहूं, गन्ना, तेलबीज , दाल और मक्का मुख्य तौर पर उगाया जाता है।

बात करे यहां के पकवानों की तो यहां की लडडू गुड़ाई मिठाई बहुत प्रसिद्ध हैं। इसके अलावा गुड़ कि जलेबी यहां के लोग खूब चाव से खाते हैं। वहीं लिट्टी चोखा कैमूर क्या पूरे बिहार की जान मानी जाती हैं।
अगर इतिहासिक रूप से देखे तो छठवीं शताब्दी में बना ये जिला कभी शक्तिशाली मगध साम्राज्य का हिस्सा हुआ करता था। फिर 7वी शताब्दी में कैमूर कांग्वज के शासक हर्षवर्धन के अधीन आ गया। पाल वंश ने इस पर लम्बे समय तक राज किया। तो वही चंदावली और ताराचंदी ने भी कैमूर जिले पर काई सालों राज किया।

आप आज भी यहां प्राचीन स्थल, शहर और संरचनाओ को देख सकते हैं। वहीं इतिहास में दिलचस्पी रखने वालों के लिए ये जगह किसी खजाने से कम नहीं है। ये जिला सांस्कृतिक और इतिहासिक रूप से जितना समृद्ध है। अपने विभिन्न आकर्षण के लिए भी उतना ही फेमस है। दोस्तों आप अगर घूमने की शौकीन हैं। तो कैमूर भ्रमण की शुरुआत आप यहां के कैमूर पहाड़ी सन ग्लास से कर सकते हैं। लगभग 483 किलोमीटर में फैली ये पहाड़िया निम्नरेंज के पूर्वी भाग के हिस्सा हैं। कैमूर सन ग्लास मध्यप्रदेश के जबलपुर से लेकर बिहार के सासाराम तक फैली हुई है। घने जंगलों और हरियाली से भारी ये पहाड़िया प्राकृतिक के अदभुत दृश्य दिखाती हैं । यहां विकेंड पर दूर दूर से सैलानी यहां मौज मस्ती करने और पिकनिक मनाने आते हैं। पर्यटक यहां बोटिंग, स्विमिंग, फिशिंग जैसी रोमांचक गतिविधियों का आनंद उठा सकते है।
पर्यटक यहां बोटिंग, स्विमिंग, फिशिंग जैसी रोमांचक गतिविधियों का आनंद उठा सकते है।
धार्मिक दृष्टि से देखे तो कैमूर आपको बहुत पसन्द आयेगा । यहां माता मुंडेश्वरी मंदिर, हरसुब्रह्मा मंदिर, बैजनाथ मंदिर, मां छेड़ावली धाम और पीर बाबा का मजार आप देख सकते हैं।
माता मुंडेश्वरी मंदिर
हरसुब्रह्मा मंदिर
बैजनाथ मंदिर
मां छेड़ावली धाम
पीर बाबा का मजार
इसके अलावा आप यहां प्रसिद्ध कैमूर वन्य जीवन अभ्यारण में जंगली जानवर बंगाल टाइगर, जंगली सुअर, स्लोप भालू, सांबर, हिरन, चीतल, नीलगायनीलगाय, हाथी आदि देख सकते हैं।
बंगाल टाइगर
जंगली सुअर
स्लोप भालू
सांबर
चीतल
हिरन
नीलगाय
हाथी
वैसे अगर आप यहां घूमने का मन बना लिए हैं तो आपको यहां पहुंचने का मार्ग भी बता देता हूं। कैमूर आप हवाई, रेल और सड़क तीनों मार्गों से पहुंच सकते है। यहां का निकटतम हवाई अड्डे Varanasi airport हैं। रेल मार्ग के लिए आप भभुआ या बनारसी रेलवे स्टेशन का सहारा ले सकते हैं। इसके अलावा आप यहां अलग अलग सड़कों से मैप के माध्यम से पहुंच सकते हैं। कैमूर राज्य और देश के प्रमुख नगरों और शहरी से सड़क मार्ग से अच्छे जुड़े हुए हैं।
वाराणसी हवाई अड्डे
भभुआ या बनारसी रेलवे स्टेशन
सड़कों से
Written by saroj kumar
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